वो देश जहां प्रधानमंत्री भी साइकिल पर चलता है ! आइये जानिए ऐसा कौन देश है.
- नीदरलैंड में साइकिलों से ही अधिक दूरी तय की जाती है.
- 22 लाख साइकिल और 18 लाख लोग, नीदरलैंड जहां लोगों की तुलना में अधिक साइकिल है.
- दुनिया का एक देश ऐसा भी है जहां प्रधानमंत्री भी साइकल की सवारी ज्यादा पसंद करता है. वो खुद साइकल चलाता है. इस देश में ज्यादातर लोग आमतौर पर साइकल से चलते हैं. ये ऐसा देश भी है, जहां सबसे ज्यादा लोग साइकल ही चलाते हैं.
नीदरलैंड (Netherlands) ऐसा ही देश है. जहां दुनिया में सबसे ज्यादा लोग साइकल से चलना पसंद करते हैं. नीदरलैंड की राजधानी एम्स्टर्डम में साइक्लिस्ट ही शासन करते हैं. उनकी ज़रूरतें पूरी करने के लिए शहर ने खूब काम किए हैं. साइकिल एम्स्टर्डम में इतनी पॉपुलर है कि नीदरलैंड के प्रधानमंत्री मार्क रुट्ट भी संसद साइकिल से ही जाते हैं.
एम्स्टर्डम शहर की रिंग रोड और लेन साइकिल वालों के लिए बड़े नेटवर्क से लैस है. ये इतनी सुरक्षित और आरामदायक है कि बच्चों से लेकर बुज़ुर्ग तक साइकिल का आसान साधन के रूप में इस्तेमाल करते हैं. साइकिल चलाने का यह कल्चर केवल एम्स्टर्डम नहीं बल्कि सभी डच शहरों में है.
यहां साइकल जन्मसिद्ध अधिकार मानी जाती है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2017 में हेग यात्रा के दौरान अपने डच समकक्ष मार्क रुटे से उपहार के तौर पर साईकिल मिली थी. प्रधान मंत्री मोदी द्वारा अपने ट्विटर अकाउंट पर एक तस्वीर साझा की थी जो उन्हें डच-निर्मित साइकिल पर बैठे और मुस्कुराते हुए देखा जा सकता है. जो रुटे ने उन्हें उपहार में दिया था।
डच लोग साइकिल चलाने को अपना जन्म सिद्ध अधिकार समझते हैं. अक्सर मज़ाक में कहते हैं कि साइकिलें धरती पर समय की शुरुवात से ही हैं. हालांकि एम्सटर्ड और अन्य डच शहरों ने एक जमाने में अपनी सड़कों पर कार और अन्य वाहनों की बढ़ोतरी देखी थी. 1950 और 60 के दशक में उनके यहां सड़कों पर कारों की संख्या बढ़ने लगी थी. लेकिन इसे सीमित किया गया.
अब हर डच शहरों में साइकल चलाने के लिए खासी जगह है.
साइकिलों को लेकर लोगों ने लगातार सामजिक और न्यायिक सक्रियता दिखाई. ये तय किया कि बेशक सड़कों पर कार आएं लेकिन उनकी तादाद ज्यादा नहीं रखी जाए. साथ ही साइकलें चलाने के लिए हमेशा काफी जगह रहे. 70 के दशक में किये गए इन प्रयासों से नीदरलैंड की सरकार को सड़कों की बनावट और पैदल चलने के लिए फुटपाथ बनाने पर ध्यान देना पड़ा. आज नीदरलैंड का शहर एम्स्टर्डम दुनिया की साइकिल राजधानी बन गया है.
20 वीं शताब्दी की शुरुआत में, डच शहरों में साइकिलों की संख्या बहुत अधिक थी और साइकिल को पुरुषों और महिलाओं के लिए परिवहन का एक सम्मानजनक तरीका माना जाता था. लेकिन जब युद्ध के बाद के युग में डच अर्थव्यवस्था में तेजी आई, तो ज्यादा लोग कार खरीदने में सक्षम हो गए और शहरी नीति निर्माताओं ने कार को भविष्य के यात्रा मोड के रूप में देखा.
बढ़ते हुए ट्रैफिक का नुकसान साफ़ दिख रहा था. 1971 में सड़क दुर्घटनों में हुई मौतों की संख्या 3,300 पर पहुंच गई. उस वर्ष यातायात दुर्घटनाओं में 400 से ज्यादा बच्चे मारे गए थे. लोगों में नाराजगी पैदा हुई और खूब विरोध प्रदर्शन हुए.
विरोध प्रदर्शनों में साइकलों का ही ज्यादा इस्तेमाल.
इन विरोध प्रदर्शनों में साइकिल का ही सबसे ज़्यादा इस्तेमाल हुआ. युवा, बच्चे, और बुज़ुर्ग सभी मिलकर प्रदर्शन करते थे. प्रदर्शन के दौरान गीत गए जाते थे, घर के सभी काम सड़कों पर आकर किये जाते थे. यहां तक कि लोगों ने अपने डाइनिंग टेबल भी सड़क पर लगाकर वहां डिनर करना शुरू कर दिया. इन आंदोलन को नाम दिया गया "स्टॉप डी किंडरमोर्ड"(“बाल हत्या रोको”) यानि सड़कों पर बच्चों की मौत रोको.
'स्टॉप डी किंडरर्मोर्ड' की बातें डच सरकार को सुननी पड़ीं. सड़कों पर साइकलों की दुर्घटनाएं रोकने के लिए बदलाव किए. स्पीड ब्रेकर और मोड़ बनाए. सड़कों पर कारों की गतिसीमा तय की गई.
फिर साइकलों को चलाने के लिए और जगह मांगी गई
यह बड़ी जीत थी लेकिन "स्टॉप डी किंडरमोर्ड"(“बाल हत्या रोको”) आंदोलन के बाद कार्यकर्ताओं के एक और समूह ने सड़कों पर साइकलों के लिए और ज्यादा जगह की मांग की. इसके लिए ' एचल रियल डच साइकलिस्ट्स यूनियन' की स्थापना हुई, जो सड़क के खतरनाक हिस्सों पर साइकिल चलाने और साइकल चलने वालों से जुडी समस्याओं पर बात करने लगा.
तब नीदरलैंड में रविवार को सड़कों पर कारें चलनी बंद हो गईं
1973 में जब दुनियाभर में तेल संकट की स्थिति आई और तेल निर्यातक खाड़ी देशों ने इजरायल का समर्थन करने के लिए अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जापान और नीदरलैंड पर तेल प्रतिबंध लगा दिया तो इन देशों में तेल की कीमतों में चौगुना का इजाफा हो गया. तब तत्कालीन डच प्रधान मंत्री डेन उइल ने अपने नागरिकों से नई जीवनशैली अपनाने और ऊर्जा बचाने के बारे में गंभीर होने का आग्रह किया.
सरकार ने ये घोषणा भी की कि रविवार के दिन सड़कें कारों से मुक्त रहेंगी यानि उस दिन सड़कों पर कार नहीं चलेंगी. तब संडे के दिन खाली पड़ी सड़कों पर लोग साइकल चलाने लगे. तब लोगों को महसूस हुआ कि ये जीवन ज्यादा बेहतर है.
धीरे-धीरे, डच राजनेता साइकिल चालन के कई फायदों से अवगत हो गए. उनकी परिवहन नीतियां में साइकल फिर प्राथमिकता लेने लगी. 1980 के दशक में, डच कस्बों और शहरों ने अपनी सड़कों को और अधिक साइकिल अनुकूल बनाने के उपायों पर काम करना शुरू किया. पूरे नीदरलैंड में साइकिल पथ बनाए गए. खास साइकलों का समर्पित करके रास्ते और सड़कें बनाई गईं. साइकल चलाने को प्रोत्साहित किया जाना शुरू हुआ.
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