ब्रेकिंग न्यूज़

कभी क्रिकेटर नहीं बनना चाहते थे गांगुली, इस शख्स की वजह से दुनियाभर में चली 'दादागिरी'

सौरव गांगुली की गिनती भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे आक्रामक कप्तान में होती है। विकट हालातों में टीम की कमान संभालने वाले इस खब्बू बल्लेबाज ने युवाओं की नई फौज तैयार की। मैदान पर अपने तेवर के लिए पहचाने जाने वाले सौरव बचपन में बेहद शरारती थे और इसी शरारत की वजह से उन्हें अपनी पहली मोहब्बत से दूर होना पड़ा और वह क्रिकेटर बन गए।

जी हां। हाल ही में यह खुलासा खुद गांगुली ने किया है। मौजूदा वक्त में भारतीय क्रिकेट बोर्ड के मुखिया ने बताया कि वह संयोग से क्रिकेटर बने। अपने पुराने दिनों को याद करते हुए गांगुली ने कहा कि वह फुटबॉल को गंभीरता से ले रहे थे, लेकिन उनके पिता ने शरारत से दूर रखने के लिए उन्हें क्रिकेट कोचिंग अकादमी में डाल दिया। बस वही से कोलकाता के इस लड़के की जिंदगी बदल गई।




एक app के लाइव सेशन में गांगुली ने कहा, 'बात तब की है जब में नौवीं में पढ़ता था। फुटबॉल मेरी जिंदगी थी। पिता बेहद अनुशासनप्रिय थे। वह बंगाल क्रिकेट संघ से भी जुड़े हुए थे इसलिए सख्त पिता से दूर रहने के लिए मैंने कोचिंग ज्वॉइन कर ली। यह उनसे दूर रहने का अच्छा मौका था, लेकिन मुझे नहीं पता कि मेरे कोच ने मुझमें क्या देखा। मेरे कोच ने मुझे फुटबॉल से दूरी बनाने को कहा और मैं फिर क्रिकेटर बन गया।

सौरव गांगुली ने अपने डेब्यू मैच में ही शतक जमाया था। चाहे वो दलीप ट्रॉफी का मैच हो या फिर लॉर्ड्स के एतिहासिक मैदान पर इंग्लैंड के खिलाफ पहले ही मैच में टेस्ट शतक। इस मैच में गांगुली के साथ राहुल द्रविड़ ने भी डेब्यू किया था।




अपनी कप्तानी में 2003 के विश्व कप में टीम इंडिया को फाइनल तक पहुंचाने वाले 'महाराज' ने 2008 में हमेशा-हमेशा के लिए क्रिकेट को अलविदा कह दिया। संन्यास लेने के बाद 'दादा' ने इंडियन प्रीमियर लीग में कोलकाता नाइटराइडर्स फिर सहारा पुणे वॉरियर्स की कमान भी संभाली। बाद में कमेंटेटर बन गए। क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल का मुखिया बन प्रशासनिक अनुभव लेने के बाद अब वह बीसीसीआई के अध्यक्ष की कुर्सी बखूबी संभाल रहे हैं।


No comments