अमरीका ने पहली बार चीन के ख़िलाफ़ उठाया ये बड़ा क़दम
- चीन दक्षिण चीन सागर के बड़े हिस्से पर अपना दावा पेश करता रहा है और वो यहां मानव निर्मित द्वीपों पर सैन्य अड्डे बसा रहा है.लेकिन इन द्वीवों और समंदरी चट्टानों पर ताइवान, फिलीपींस, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम भी अपने दावे पेश करते रहे हैं.
- दक्षिण चीन सागर के इलाक़ों पर नियंत्रण को लेकर इन देशों के बीच विवाद सदियों से चला आ रहा है लेकिन हाल के सालों में तनाव बढ़ गया है.
- नाइन-डैश-लाइन के नाम से पहचाने जाने वाले इलाक़े पर चीन ने अपना दावा पेश किया है और अपने दावों को मज़बूत करने के लिए चीन इस क्षेत्र में कृत्रिम द्वीप बना रहा है, अपनी नौसेना की मौज़ूदगी और गश्त भी बढ़ा रहा है.
सोमवार को जारी बयान में पोम्पियो ने दक्षिण चीन सागर में विवादित स्पार्टली द्वीप पर चीन के दावों का विरोध भी किया.
पोम्पियो ने कहा कि अमरीका, जो ये कहता रहा है कि वह क्षेत्रीय विवादों में किसी का पक्ष नहीं लेता है, वियतनाम, मलेशिया और इंडोनेशिया के पास स्थित जलक्षेत्र में चीन के दावों को नकारता है.
पोम्पियो ने कहा, 'इस जलक्षेत्र में दूसरे देशों के मछली पकड़ने या हाइड्रोकार्बन विकास से जुड़ी गतिविधियों को परेशान करने वाला कोई भी क़दम या एकतरफ़ा तौर पर ऐसी गतिविधियां करना- अवैध है.'
'दुनिया दक्षिण चीन सागर को चीन का जल साम्राज्य नहीं बनने देगी.'
पोम्पियो ने कहा है कि अमरीका दक्षिण पूर्व एशिया में अपने सहयोगियों के अधिकारों और समंदर में तट से दूर संसाधनों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है.
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