सावधान हो जाइए बाजार में बिक रहे है, कैमिकल युक्त आलू।
कृत्रिम रूप से रंग कर बाराबंकी उन्नाव, लखनऊ व कानपुर जनपद से विभिन्न सब्जी मंडियों में हो रही आपूर्ति।
सहायक आयुक्त खाद्य ने जनमानत से की अपील
गोरखपुर :- उत्तर प्रदेश की सरकार लगातार प्रदेश की जनमानस के स्वास्थ्य को लेकर अधिकारियों को दिशा निर्देश देती रहती हैं । पूरे प्रदेश मे खाद्य विभाग के अधिकारी खाने पीने के सामानों पर छापेमारी कर अंकुश लगाने का प्रयास कर रही हैं। इस कड़ी मे गोरखपुर जिले के आम जनमानस को सुरक्षित खाद्य पेय पदार्थ उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सहायक आयुक्त डॉ सुधीर कुमार सिंह टीम के साथ लगातार छापेमारी कर जन मानस को आगाह करते नजर या रहे हैं। कृत्रिम रूप से रंग कर बाराबंकी ,उन्नाव, लखनऊ व कानपुर जनपद से विभिन्न सब्जी मंडियों में आपूर्ति बड़े पैमाने पर की जा रही है गोरखपुर जिले में हुई प्रारंभिक जांच में पाया गया है कि आलू पर प्रयुक्त रासायनिक रंग छिलके के भीतर तक प्रवेश कर रहे हैं जिससे उपयोग करने वालों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ने की संभावना है आम जनमानस से अनुरोध है कि आलू की खरीदारी करते समय उसके छिलके पर अस्वभाविक रंग या दाग दिखने पर सतर्क रहें ऐसे आलू का सेवन न करें जिसमें रंग भीतर तक समाया हो, किसी भी संदिग्ध स्थिति की सूचना तत्काल खाद्य सुरक्षा विभाग या स्थानीय प्रशासन को दे । स्वास्थ्य की दृष्टिगत से यह अत्यंत आवश्यक है कि आम जनमानस को जागरुक रहने एवं सतर्क होकर बाजारों से सब्जियों की खरीद कर रहे हैं।
असुरक्षित है :-खाद्य उपयोग हेतु अनुमन्य नहीं : आयरन ऑक्साइड (Fe₂O₃, Fe₃O₄) का प्रयोग प्रायः पेंट, सिरेमिक और कॉस्मेटिक्स में होता है, लेकिन आलू या किसी भी ताज़ी सब्ज़ी पर कोटिंग के रूप में इसका प्रयोग अनुमन्य नहीं है।
स्वास्थ्य जोखिम : आयरन ऑक्साइड से लेपित आलू खाने पर शरीर में धातु (metal) जा सकती है, जिससे पेट की गड़बड़ी, उल्टी, मितली हो सकती है तथा कुछ संवेदनशील व्यक्तियों में आयरन की अधिकता भी हो सकती है। लंबे समय तक सेवन करने से लीवर, गुर्दे और पाचन तंत्र पर बुरा असर पड़ सकता है।
खाद्य मिलावट : सब्ज़ियों पर आयरन ऑक्साइड या अन्य कृत्रिम रंगों का प्रयोग खाद्य मिलावट माना जाता है। खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम (FSSAI, भारत) तथा अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार यह प्रतिबंधित है। आलुओं पर केवल अनुमन्य खाद्य-ग्रेड वैक्स का प्रयोग अंकुरण या खराबी रोकने हेतु किया जा सकता है।
जनहित में जोखिम : कई बार ऐसे रंगों का प्रयोग पुराने आलुओं को ताज़ा और चमकीला (लाल या पीला) दिखाने के लिए किया जाता है। यह रंग आलू के छिलके से भीतर तक पहुँच सकता है और नियमित सेवन पर स्वास्थ्य के ऊपर खराब प्रभाव डाल सकता है ।
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