गुलाब है रे रेली सारारारा... के बोली अरे अरे अरे... और कहि के बोली सभी देशवासियों ने एक होकर खेली करोना रहित होली हैप्पी होली
अभिषेक आग्रहरि
महाराजगंज पूर्वांचल की होली माटी की होली कही जाती है इस होली में सिर्फ रंगों की ही होली नहीं खेली जाती बल्कि रिश्तो की मिठास की भी होली खेली जाती है जिसमें भाईचारा, अपनत्व,संस्कार,आचरण,व्यवहार को समाहित करके एक पुष्प की तरह खिलते हुए और खुशबू फैलाते हुए होली खेली जाती है वैसे तो होली पूरे देश में खेली जाती हैं पर पूरब की होली कुछ खास विशेषता के लिए जानी जाती है जिसमें भांति भांति के शब्द को समाहित करके हर्ष उल्लास के लिए बोला जाता है जैसे सररा.... कबीरा सररा...होलिया में बुढ़ओ देवर लगे ला बुरा न मानो होली है तमाम प्रकार के शब्दों को समाहित करके होली खेला जाता है जिसमें घर की माताएं बहने मालपुआ,गुझिया, गुलगुला,खीर पूड़ी, पकौड़ी,पकौड़ा आदि तमाम प्रकार के पकवान बनाती है।
पंचायती चुनाव के मद्देनजर रखते हुए इस होली में कुछ खास चुनाव की भी होली खेली गई बुरा न मानो होली है प्रेम,मिठास,संबंध प्रगाढ़ करने का यह त्यौहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ एक दूसरे को गुलाल अबीर लगाकर मनाई गई जिसमें महाराजगंज:फरेन्दा, निचलौल, घुघुली के गांव वासी व नगर वासी द्वारा बड़े ही हर्षोल्लास के साथ होली पर्व मनाई गई।
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