नेपाल ने बैन किए भारतीय न्यूज चैनल, सिर्फ इस चैनल का नहीं रुका प्रसारण...
भारत और नेपाल के संबंधों के बीच कड़वाहट थमने का नाम नहीं ले रही है. चीन की शह पर नेपाल लगातार भारत के साथ अपने वर्षों पुराने संबंधों को दरकिनार कर उकसावे की कार्रवाई कर रहा है. अब उसने नेपाल में प्रसारित होने वाले भारतीय न्यूज चैनलों पर प्रतिबंध लगा दिया है.
- इससे पहले नेपाली मीडिया के हवाले से पूर्व उप-प्रधानमंत्री और एनसीपी के प्रवक्ता नारायणकाजी श्रेष्ठ ने भारतीय मीडिया को जमकर कोसा। उन्होंने कहा कि नेपाल सरकार और प्रधानमंत्री ओली के खिलाफ भारतीय मीडिया ने दुष्प्रचार की सारी हदें पार कर दी हैं। अब यह बहुत हो रहा है। इसे बंद करना चाहिए।
काठमांडू. नेपाल में सियासी संकट के बीच डीडी न्यूज के अलावा अन्य सभी भारतीय न्यूज चैनलों का प्रसारण रोका दिया गया है. नेपाल के केबल टीवी प्रोवाइडर ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा कि देश में भारतीय समाचार चैनलों के सिग्नल को बंद कर दिया गया है. हालांकि, अभी तक नेपाल सरकार की तरफ से ऐसा कोई आदेश जारी नहीं हुआ है. दूसरी ओर, नेपाल की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के भीतर पैदा हुए मतभेद समाप्त होते नहीं दिख रहे हैं. बृहस्पतिवार को आई मीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' के बीच सप्ताह भर में आधा दर्जन से अधिक बैठकें होने के बाद भी कोई आम सहमति नहीं बन सकी है.
बुधवार (8 जुलाई) को एनसीपी की 45 सदस्यीय स्थायी समिति की एक महत्वपूर्ण बैठक शुक्रवार (10 जुलाई) तक के लिए टाल दी गई. यह लगातार चौथा मौका था जब पार्टी की बैठक टाल दी गई थी, ताकि पार्टी के दो अध्यक्षों को मतभेदों को दूर करने के लिए पर्याप्त समय मिल सके. उम्मीद की जा रही है कि 68 वर्षीय ओली के राजनीतिक भविष्य के बारे में शुक्रवार को स्थाई समिति की बैठक के दौरान फैसला किया जा सकता है. इस बीच नेपाल में चीनी राजदूत होउ यान्की की सक्रियता बढ़ गई है, ताकि ओली की कुर्सी को बचाया जा सके. प्रचंड खेमे को वरिष्ठ नेताओं और पूर्व प्रधानमंत्रियों माधव कुमार नेपाल तथा झालानाथ खनल का समर्थन हासिल है.
बुधवार (8 जुलाई) को एनसीपी की 45 सदस्यीय स्थायी समिति की एक महत्वपूर्ण बैठक शुक्रवार (10 जुलाई) तक के लिए टाल दी गई. यह लगातार चौथा मौका था जब पार्टी की बैठक टाल दी गई थी, ताकि पार्टी के दो अध्यक्षों को मतभेदों को दूर करने के लिए पर्याप्त समय मिल सके. उम्मीद की जा रही है कि 68 वर्षीय ओली के राजनीतिक भविष्य के बारे में शुक्रवार को स्थाई समिति की बैठक के दौरान फैसला किया जा सकता है. इस बीच नेपाल में चीनी राजदूत होउ यान्की की सक्रियता बढ़ गई है, ताकि ओली की कुर्सी को बचाया जा सके. प्रचंड खेमे को वरिष्ठ नेताओं और पूर्व प्रधानमंत्रियों माधव कुमार नेपाल तथा झालानाथ खनल का समर्थन हासिल है.
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